सूबे में नया सियासी समीकरण; हाथी मेरा साथी:विधानसभा चुनाव 2022; शिअद का 25 साल बाद बसपा से गठजोड़, 97+20 सीटों पर सहमति



भारतीय जनता पार्टी से गठजोड़ टूटने के 260 दिन बाद शिरोमणि अकाली दल ने शनिवार को बहुजन समाज पार्टी के साथ नए गठबंधन का एलान किया। दोनों दल 25 साल बाद दोबारा एकसाथ आए हैं। इससे पहले 1996 में शिअद-बसपा ने साथ चुनाव लड़ा था।

शनिवार को बसपा महासचिव सतीश मिश्रा व शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने गठबंधन का एलान किया। उन्होंने कहा 117 सीटों में से बसपा 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि शिअद 97 सीटें अपने पास रखेगा।

उन्होंने दावा किया चुनाव के बाद दोनों सरकार बनाएंगे। गौर हो कि शनिवार 26 सितंबर 2020 को शिअद ने कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के पक्ष में भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था। वहीं, शिअद से गठबंधन के दौरान भाजपा 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी।

चंडीगढ़ में एलान के दौरान बलविंदर भूंदड़, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, नरेश गुजराल, हरसिमरत कौर बादल, निर्मल काहलों, बीबी जगीर कौर, बिक्रमजीत मजीठिया, डॉ. दलजीत चीमा आदि मौजूद रहे।

इन सीटों पर बसपा लड़ेगी चुनाव- बसपा 117 सीटों में से दोआबा हलके की 8, मालवा की 7 और माझा की 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

ये मिलीं सीटें
करतारपुर, जालंधर वेस्ट, जालंधर नाॅर्थ, फगवाड़ा, होशियारपुर, टांडा, दसूहा, श्री चमकौर साहिब, बस्सी पठाना, नवांशहर, लुधियाना नाॅर्थ, मेहल कलां, भोआ, पठानकोट, सुजानपुर, श्री आनंदपुर साहिब, मोहाली, अमृतसर नॉर्थ, अमृतसर सेंट्रल और पायल।

मायने, गेमचेंजर

पंजाब में 32% दलित वोटर हैं। 2019 लाेकसभा चुनाव में जालंधर में बसपा प्रत्याशी को 20% वोट मिले थे। जालंधर, होशियारपुर व आनंदपुर साहिब में बसपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पर थे। आेवरऑल पार्टी को 3.49% वोट मिले थे। यानी गठबंधन गेमचेंजर साबित हो सकता है।

आगे क्या- सर्वे कर होगा नामों का एलान

बसपा नेता सतीश मिश्रा ने बसपा के राज्य प्रभारी रंधीर सिंह बेनीवाल से चर्चा की। राज्य की विधानसभा सीटों के साथ ही दलित बाहुल्य क्षेत्र की सर्वे रिपोर्ट तैयार करने को कहा। सर्वे के बाद प्रत्याशियों के नाम तय किए जाएंगे।

परदे के पीछे- गठबंधन के सूत्रधार बने पूर्व पीएम के बेटे नरेश गुजराल

पूर्व पीएम आईके गुजराल के बेटे नरेश गुजराल की इस गठबंधन में अहम भूमिका रही। उन्होंने दोनों दलों के बीच कड़ी का काम करते हुए बताया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वे मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो उनको लाभ मिल सकता है। गुजराल की बात से दोनों दल सहमत हुए और यह गठबंधन परवान चढ़ा। इस संबंध में कई बार मीटिंग का भी दौर चला।

मायावती ने कहा

गठबंधन के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि वैसे तो पंजाब में हर तबका कांग्रेस के शासन में गरीबी, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी से जूझ रहा है। ज्यादा मार दलितों, किसानों,युवाओं व महिलाओं पर पड़ रही है। इससे मुक्ति के लिए गठबंधन को कामयाब बनाना बहुत जरूरी है।

सतीश मिश्रा बोले

बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि अबकी बार गठबंधन नहीं टूटेगा। दोनों पार्टियों की सोच मिलती है। यह गठबंधन विरोधियों के मुखौटे को जनता के सामने लाएगा। किसानों का हक दिलवाने को लड़ाई लड़ेंगे।

1997 में दिल्ली की चाह में अलग हुआ था शिअद

1996 में बसपा का शिअद के साथ गठजोड़ सिर्फ एक साल चला था। 1997 में दोनों पार्टियां अलग हो गईं। 1996 में बसपा सुप्रीमो कांशीराम ने होशियारपुर से चुनाव जीता था। 13 लोकसभा सीटों में से 11 गठजोड़ ने जीती थीं।

इसके बाद शिअद ने बसपा को पीछे छोड़ भाजपा के साथ गठबंधन किया जो 23 साल तक चला। सियासी जानकारों के अनुसार तब कद्दावर अकाली नेता गुरचरण सिंह टोहरा ने भाजपा से गठजोड़ का विरोध किया था।

उनका मानना था कि भाजपा की तुलना में शिअद की फिलाॅस्फी बसपा के ज्यादा करीब है। परकाश सिंह बादल ने तब भाजपा के साथ गठजोड़ इसलिए किया क्योंकि उनकी इच्छा थी कि पार्टी दिल्ली तक प्रभाव बढ़ाए।

गठबंधन के एलान के बाद सतीश मिश्रा और सुखबीर बादल ने पूर्व मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल से मुलाकात की। इस दौरान सतीश मिश्रा ने बसपा सुप्रीमो मायावती से परकाश सिंह बादल की फोन पर बात करवाई। बादल ने अकाली-बसपा गठबंधन पर खुशी जताते हुए मायावती को बधाई दी। बादल बोले- बहनजी! तुहानूं पंजाब ’च दावत दवांगे ते एत्थों चौण वी लड़ावांगे। मायावती ने उनका हाल भी पूछा।​​​​​​​

कांग्रेस-भाजपा का रिएक्शन

  • कांग्रेस प्रधान जाखड़ बोले- 25 साल पहले शिअद ने एक साल से पहले ही गठजोड़ तोड़ दिया था। शिअद और बसपा के लिए दलित सिर्फ वोट बैंक हैं।
  • भाजपा प्रधान अश्वनी ने कहा- शिअद और बसपा दलितों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। असल में दोनों पार्टियों की दलितों से कोई हमदर्दी नहीं है।​​​​​​​

अब हम महागठबंधन बनाएंगे वाम दलों काे भी साथ जाेड़ेंगे-

Q.​​​​​​​ ​​​​​​​शिअद अब महागठबंधन बQ. आपका पहले भी बसपा से गठबंधन रहा है। तब गठजाेड़ के 11 प्रत्याशी संसद पहुंचे थे। इस बार क्या लग रहा है?
-इस बार भी कामयाबी मिलेगी। किसान, खेत मजदूर, दलित विधानसभा पहुंचेंगे।
Q. किसान आंदोलन पर मोदी सरकार पर दबाव बना पाएंगे?
-संसद में वोटिंग के दाैरान अकाली-बसपा ने ही सरकार के फैसले के उल्ट वोट डाला था। अाप, कांग्रेस ने बायकाट कर काले कानून का समर्थन किया था। हम अागे भी दबाव बनाएंगे।
Q. क्या सीपीआई सीपीएम से गठबंधन होगा?
-महागठबंधन होगा, हमख्याली पार्टियां शामिल हाेंगी।
Q. क्या अाप उत्तर प्रदेश प्रचार करने जाएंगे?
-बिल्कुल। मायावती पंजाब आएंगी हम यूपी जाएंगे।
Q. क्या दलित विधायक उपमुख्यमंत्री होगा?
-उपमुख्यमंत्री दलित विधायक होगा।नाएगा। सीपीआई, सीपीएम के साथ दो मीटिंगें हाे चुकी हैं। सीटों पर मामला अटका है।​​​​​​​





 

Post a Comment

Previous Post Next Post